दिनांक – ०२ अक्टूबर – UPAY Learning center – गाँधी जयंती के अवसर पर मनाया गया सेवा दिवस।
लर्निंग कम्पॅनियन्स और UPAY के साझा प्रयासों से चल रहे learning center में हर महीने १ दिन सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस माह यह दिवस महात्मा गांधीजी के जन्मदिवस के अवसर पर मनाया गया। इस दिवस पर बच्चो को सफाई का महत्त्व समझाया गया और हमारे फेलोज ने बच्चों के साथ मिलकर आसपास के परिसर की सफाई की। इसके आलावा हमारे बच्चों के साथ ट्रैफिक पुलिस के अधिकारयों मुलाकात करवाई और उन्हें उनके काम और सड़क सुरक्षा के बारे में जानकारी दी।
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दिनांक ०२ अक्टूबर – पिपला (भदी) – व्यावहारिक पद्धति का उपयोग करबच्चों को वैज्ञानिक पद्धति और मानवी शरीर के अंगों से अवगत कराया गया।
हमारे साथी नितीन जो स्वयं एक डॉक्टर हैं, उन्होंने हमारे भदी पिपला के स्कूल के छात्रों से भेंट की और वैज्ञानिक पद्धति से उन्हें अवगत करने की कोशिश की। मानवी शरीर के अंगों को आजतक बच्चे सिर्फ तस्वीरों में देखते आये थे परन्तु नितिन ने वास्तविक प्रकार से वह बच्चो को दिखाया और बच्चे उसे छू सकते थे। हम हमेशा से ही यह प्रयास करते हैं की बच्चो में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जाये।
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दिनांक ०६ अक्टूबर – लर्निंग कम्पॅनियन्स – सामाजिक क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखने वाले छात्रों हेतु लर्निंग कम्पॅनियन्स में ”इंटर्नशिप” का अवसर।
सामाजिक कार्य इस विषय पर अभ्यास कर रहे छात्रों हेतु इंटर्नशिप की संधि निर्माण की गयी है । विद्यार्थियों को अपने विद्यार्थी जीवन में सामाजिक क्षेत्र का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो और वह अधिक प्रभावशाली पद्धति से काम कर सके यह इसके पीछे का उद्देश्य है। इसी उपलक्ष में लर्निंग कम्पॅनियन्स कार्यालय में भेट आयोजित की गयी,जहां छात्रों को हमारे काम के बारे में जानकारी दी गयी।
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दिनांक १२ अक्टूबर – ठणठण – “जब तक थकेंगे नहीं, तब तक सीखते रहेंगे !” रात में भी पढाई को लेकर बच्चो और हमारे फेलोज में दिन जैसा ही उत्साह।
वैसे तो कुछ बच्चे रोज रात को पढाई करने हेतु हमारे फेलोज के पास जो उसी बेड़े पर पूर्णकाल रहते हैं, उनके पास आकर पढ़ते हैं। परन्तु इस दिन कुछ अलग और सुखद अनुभव हमारे फेलोज को आया। इस दिन सारे बच्चे एकदम से स्कूल में आकर बैठ गए और उनके साथ कुछ अभिभावक भी थे। पढाई को लेकर यह सकारात्मक बदलाव सुखद और समाधानकारक अनुभव प्रदान करनेवाला था।
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१३ अक्टूबर – चक्रीघाट – “चाहे कोई भी कठिनाई हो, बच्चों की पढाई हमारी अहम प्राथमिकता रहेगी!” इसी विचार को लेकर हमारे फेलोज काम करते हैं, इसका एक उत्तम उदहारण यह चित्र ।
हमारे फेलोज जहां रहते हैं और हमारा स्कूल जहां है उनके बिच एक नदी पड़ती है, जिसको पार कर हमारे फेलोज को स्कूल जाना पड़ता है। मगर इस दिन बारिश के कारण नदी का जलस्तर और बहाव बढ़ गया। परन्तु इससे पीछे न हटते हुए थोड़ी राह देखने के बाद बेड़े के बड़े बच्चो की मदद से नदी पार करते हुए स्कूल पहुंचे। कठिनाई में भी संभावित रास्तो की खोज करना हमारी फेलोशिप का एक महत्वपूर्ण मूल्य है, जिसपे हमें गर्व है।
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दिनांक – १५ अक्टूबर – हमारे फेलोज का शिक्षा की अलग अलग पद्धति का अनुभव करने की खोज को लेकर प्रयास।
शिक्षा गहराई और व्यापकता की अगर हम बात करे तो वह ख़तम न होने वाली है। सभी संस्थाए या स्कूल की अपनी अलग शिक्षा पद्धति होती है। इसी को लेकर हमारे सभी फेलोज ने अलग अलग संस्थाओ की शिक्षा पद्धति को जानने का प्रयास किया। इसकी मदद से उन्हें शिक्षा को देखने के विभिन्न दृष्टिकोण की जानकारी होगी।
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दिनांक १६ अक्टूबर – रमन विज्ञान केंद्र -बच्चों सहित फेलोज और अभिभावकों की नागपुर स्थित रमन विज्ञान केंद्र को भेंट।
बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि बढे और विज्ञानवादी दृष्टिकोन उनमें तैयार हो इस लिए नागपुर में स्थित रमन विज्ञान केंद्र जो की विज्ञान प्रयोगशाला और प्रदर्शनी है वहा हमारे फेलोज ने बच्चो और अभिभावकों को लेकर भेंट दी। बच्चों ने यहां विज्ञान से जुड़े बहुत से उपकरण और संरचनाओं को समझा। यह अनुभव बच्चों ने जीवन में पहली बार लिया और उन्हें बहुत कुछ सिखने को मिला, ऐसा बच्चो ने फेलोज के साथ साँझा किया।
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दिनांक १६ अक्टूबर – असोला – समुदाय के बच्चो को प्राथमिक स्तर से बढ़कर माध्यमिक स्तर पर अच्छा शिक्षा मिले यह सुनिश्चित करने हेतु स्कूल के आसपास के विद्यालयों को हमारे फेलो की भेंट।
गांव में कक्षा ५ तक की स्कूल उपलब्ध होने के कारन अगली शिक्षा प्राप्त करने हेतु बच्चों को आसपास के गावों में जाना पड़ता है। और समस्या यह है की अगली कक्षा में जाने के बाद बच्चों की पढाई की अवस्था के बारे में पता नहीं चलता। इसी समस्या का निवारण करने हेतु हमारे फेलोज ने आसपास के गावो के स्कूल अध्यापको से भेंट की। इससे लाभ यह होगा की बेड़े की लड़कियों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए यह सरल होगा की उन्हें आसपास के गावो में भेजने के लिए अभिभावक तैयार होंगे और वह अपनी आगे की शिक्षा पूरी कर सकेंगी।
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One comment
sahebrao
Hats off to fellows going to Chakraghat for teaching
Hats off to fellows going to Chakraghat for teaching