भरवाड़ समुदाय का चारे के लिए देशांतर शुरू होने के बाद हम हमारे स्कुल से गौरी जोगराना को हमारे घर लेके आए ताकि उसकी पढाई जारी रहे। दो हफ्ते पहले अचानक से हमारे ध्यान में आया की गौरी हमारे बच्चे वीर और अनु की शिक्षा साथी बन चुकी है। ओ दिनभर उनसे कविता बुलवाती है, साथ में किताब पढ़ती है, खेलती है, कहानियाँ सुनाती हैं। पिछले एक साल से हम सोच रहे थे की वीर और अनु को २-३ घंटे व्यस्त रखने के लिए कोई टीचर मिल सकती है क्या! लेकिन पिछले महीने भर से गौरी ने दोनों को दिन के ६-८ घंटे व्यस्त रखा है।
After the Bharwad community started migrating for fodder, we brought Gauri Jograna from our school to our house so that her studies could continue. Two weeks ago, it suddenly came to our attention that Gauri has become the learning companion of our children Veer and Anu. She makes them recite poetry, reads the books together with them, plays and tells stories throughout the day. For the last one year, we were wondering if we can find a teacher to keep Veer and Anu busy for 2-3 hours. But Gauri has kept both of them busy for 7-8 hours a day since last month.
१९ मार्च २०२१ – कुछ दिन पहले हमें जब पिज़ा खाने की इच्छा हुई तब हमने एक गणित लगाया। एक बार ७-८ लोगों के पिज़ा के लिए लगभब ३-४ हजार रुपये का खर्च होगा। हम पिज़ा बुलाएँगे और तब तक सभी लोग अपने-अपने मोबाईल पर फेसबुक और इंस्टाग्राम में दूसरे शहर में बैठे लोगों की कहानियाँ देखेंगे, बात करेंगे।
उतने ही पैसे में तीन दिन बाद हमारे घर पर नया ओवन आया। सभी लोगों ने साथ में मिलकर पिज़ा बनाते हुए बहुत सारी बातें की। सभी बड़े लोग किचन में थे तो छोटे बच्चों का भी पूरा समय किचन में बिता। और फिर हमने पिज़ा खाने का आनंद उठाया।
29 March 2021 – A few days ago, when we craved for a pizza, we did a math. It will cost about 3-4 thousand rupees for a pizza of 6-8 people once. We will order a Pizza and then everyone will check the stories of people sitting in other cities, talk on Facebook and Instagram on their mobiles.
Three days later, a new oven arrived at our house for the same amount of money. All the people together made pizzas and talked a lot while cooking. As the elders were in the kitchen, the younger children also spent all their time in the kitchen. And then enjoyed eating pizza.
२० मार्च २०२१ – पढाई की भूक सबसे ज्यादा अगर किसी बात से आती तो वह बच्चों के आसपास कोई आदर्श/उदाहरण होने से आती है। क्या हम बच्चों के आसपास अच्छा माहौल कैसे बनाया जाए इसपर उतना ही ध्यान दे सकते हैं, जितना हम अच्छे लेसन प्लान कैसे बताए इसपर देते हैं?
20th March 2021 – If there is anything that drives the hunger for learning the most, then it is the children’s having role-models around them. Can we give as much attention to how to create a good environment around children, as much as we give on how to prepare good lesson plans?
२३ मार्च २०२१ – नागपुर स्थित भरवाड़ समुदाय में शिक्षा की स्थिति समझने के लिए सर्वेक्षण का दूसरा दौरा शुरू
March 23, 2019 – Second round of survey begins to understand the status of education in the Bharwad community in Nagpur district.
२४ मार्च २०२१ – जैसे परिवार चारे की खोज में घूम रहा है, हमारे बच्चों का पढाई को जारी रखने के अलग-अलग जगह और माध्यम ढूंढना जारी है। हमारे फेलो जगह-जगह जाकर बच्चों को हफ्ते में एक-दो बार मिलते हैं, शिक्षा के साधन पहुंचाते हैं।
24 March 2021 – As the families are wandering in search of fodder, our children continue to find different places and means to continue their studies. Our fellows go from place to place to meet the children once or twice a week, and provide them with the tools of learning.
२७ मार्च २०२१ – Learning Companions Fellowship के तीसरे अध्याय के लिए आवेदन मंगवाने की प्रक्रिया हमने २७ तारीख को पूरी की। कुल ३०७ युवाओं ने फेलोशिप के लिए आवेदन किया है।
Need to help them out.
म्हणतात शिकायला वयाची मर्यादा नसते……जितके हे ब्रीद सत्य आहे तितकचं सत्य आहे की, पुस्तकांसमवेत आपल्या अवती भवती असणाऱ्या अनेक सजीव व निर्जीव गोष्टी आपल्याला शिकायला बांधील करतात……..छायांकित केलेल्या छायाचित्रांमधे पुस्तकांपलीकडची गोष्ट लपलेली आहे…. वयापलीकडील तत्वज्ञता, इच्छेपलीकडील कौशल्य, दायित्वापलीकडील साधेपणा,
साधेपणापलीकडील कुशलता, तजविजेपलीकडील नाविण्यता अशा अमूल्य घटकांशी समरस करण्याकरिता खूप खूप धन्यवाद!
Such g good job and work …
एक सुशिक्षित समाज घडवण्यासाठी एक चांगली शिक्षण व्यवस्था कार्यरत असणे महत्त्वाचे..आणि तुम्ही शिक्षण देण्याचे काम करत आहात ते खूप कोतुकास्पद आहे ज्यातून त्या मुलांचे चांगले भवितव्य घडणार आहे..
मूलीचे शिक्षण खुप महत्वाचा मुद्दा आहे. खरं तर भटकंती समूदायात जवळ जवळ शिक्षण नाही च बरोबर आहे. पण तुम्ही गौरीला स्वतः च्या घरी आनून आणि तिच्या संगोपन व शिक्षणाची जबाबदारी घेऊन खुपच छान काम केलेस आहे. गौरीच्या शिकण्याची संधी मिळाली आहे आणि त्या संधीमुळे ती स्वतःचे जिवन सूधारू शकेल. खरचं खूप छान काम आहे सर….